Sahara India Refund: देश में लाखों लोगों ने सालों पहले सहारा इंडिया में अपनी मेहनत की कमाई लगाई थी, लेकिन अब तक उनका पैसा फंसा हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस से जुड़ी एक नई खबर निवेशकों के चेहरे पर मुस्कान ला सकती है. सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी 88 चल और अचल संपत्तियों को अदाणी समूह को बेचने की अनुमति मांगी है. समूह का कहना है कि इस बिक्री से मिली रकम से निवेशकों का बकाया लौटाया जा सकेगा.
सहारा समूह की नई पहल से उम्मीद जगी
सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि उन्होंने अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है. इसमें महाराष्ट्र की एंबी वैली और लखनऊ का सहारा सिटी जैसी बड़ी संपत्तियां भी शामिल हैं. यह समझौता 6 सितंबर 2025 को हुआ था. कंपनी का कहना है कि इन संपत्तियों को बेचने से जो पैसा मिलेगा, उससे निवेशकों का बकाया चुकाया जाएगा और कोर्ट के आदेशों का पालन भी किया जा सकेगा.
कोर्ट के आदेश और सेबी की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सहारा समूह को अपने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए सेबी के रिफंड खाते में 24030 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था. इसमें से अब तक करीब 16 हजार करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं. सहारा समूह का कहना है कि बाकी रकम संपत्तियां बेचकर जमा की जाएगी. समूह ने यह भी कहा कि उन्होंने कई प्रतिष्ठित एस्टेट कंपनियों की मदद से संपत्तियां बेचने की कोशिश की, लेकिन प्रक्रिया में कठिनाई आई.
सुब्रत राय के निधन के बाद लिया गया फैसला
सहारा समूह ने कहा है कि नवंबर 2023 में सुब्रत राय के निधन के बाद समूह ने अपना मुख्य निर्णय लेने वाला व्यक्ति खो दिया. उनके जाने के बाद परिवार के सदस्य सीधे तौर पर कंपनी के कामकाज में शामिल नहीं हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि निवेशकों का हित सुरक्षित रहे. इसी वजह से सहारा समूह ने फैसला किया है कि संपत्तियों को अधिकतम मूल्य पर बेचा जाए ताकि कोर्ट के आदेशों का पालन हो सके और देनदारियों को खत्म किया जा सके.
निवेशकों में लौटी उम्मीद की किरण
इस खबर के सामने आने के बाद सहारा निवेशकों में फिर से उम्मीद की लहर दौड़ गई है. जिन लोगों ने वर्षों से अपने पैसे की वापसी का इंतजार किया है, उनके लिए यह कदम राहत भरा हो सकता है. अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट की 14 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं. अगर कोर्ट से संपत्तियों की बिक्री की मंजूरी मिल जाती है, तो सहारा निवेशकों के फंसे पैसे की वापसी की राह साफ हो सकती है.